हे मन मुझको दे ऐसा कोई प्रतिबोध,
हो जाए मेरी आत्मा को भी शक्तिबोध
हो जाने अनजाने मुझसे कोई भूल
मेरा आचरण करे भूलों का अवरोध
और सदा सत्य का हो जीवन में अनुसरण
सत्य की औषधि से हो पापों का प्रतिरोध
राष्ट्र जागरण धर्म हमारा रख ये याद
मन में न रहे अब तो कोई भी प्रतिशोध
देशभक्ति लहू में ही घुलमिल जाए 'प्रीत'
मन तुझसे मेरा है एक यही अनुरोध ,...प्रीति सुराना
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