Thursday 2 June 2016

अनूठा राग

सूरज की किरणों ने है छेड़ा,
जग में एक अनूठा राग।

जाग गए हैं लहरें और पंछी,
जाग मनुज अब तू भी जाग।

वीना में सरगम के संग अब,
याद प्रभु को कर ले तू भी।

सृष्टि का कण कण है जागा,
जागेंगे तेरे भी भाग ।। ,.........प्रीति सुराना

0 comments:

Post a Comment