मुझसे मिलने तो तुम आए
क्या सचमुच मुझसे मिल पाए
फूल गुलाबी देकर मुझको
क्या खुशबू मुझको दे पाए
उपहार बहुत लाए थे तुम
क्या समय मुझे तुम दे पाए
दर्द दुनिया से मिलता ही है
क्या मरहम ही तुम बन पाए
गीत नहीं बनते जीवन के
क्या गज़ल कभी तुम बन पाए
आसान नहीं प्रीत निभाना
मनमीत नहीं तुम बन पाए,...प्रीति सुराना
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