Sunday 29 May 2016

मुझसे मिलने तो तुम आए

मुझसे मिलने तो तुम आए
क्या सचमुच मुझसे मिल पाए

फूल गुलाबी देकर मुझको
क्या खुशबू मुझको दे पाए

उपहार बहुत लाए थे तुम
क्या समय मुझे तुम दे पाए

दर्द दुनिया से मिलता ही है
क्या मरहम ही तुम बन पाए

गीत नहीं बनते जीवन के
क्या गज़ल कभी तुम बन पाए

आसान नहीं प्रीत निभाना
मनमीत नहीं तुम बन पाए,...प्रीति सुराना

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