Sunday 27 March 2016

महिला स्वास्थ्य समस्याएं: महिलाएं खुद कितनी जिम्मेदार??


आजकल यह विषय बहुत ज्यादा चर्चा में है और साथ ही जिम्मेदारी पर उठा सवाल भी।सबके अपने विचार सबके अपनी सोच। इसी कड़ी में मैं भी शामिल हूं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का फायदा उठाते हुए अपना विचार सबके सक्षम रख रही हूं ।
सबसे पहले बात करते हैं स्वास्थ्य समस्याओं के प्रकार पर। स्वास्थ्य समस्याएं यानि बीमारियां केवल शारीरिक ही नहीं मानसिक भी होती हैं । और मैंने अपने आसपास शारीरिक से ज्यादा मानसिक बीमारियों से जूझते देखा है।
स्वास्थ्य के प्रकार के बाद बात करें महिलाओं के प्रकार की। जानती हूं मेरी यह बात थोड़ी अजीब लगेगी सबको पर सच ये बात भी बहुत मायने रखती है । अतः महिलाओं को इन श्रेणियों के आधार पर वर्गीकृत किया गया ।
शिक्षित/अशिक्षित
निर्धन/मधमवर्गीय/समृद्ध
गृहणी/ कामकाजी 
किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर असर होता है शारीरिक क्षमताओं का मानसिक और आर्थिक स्तर का,.. । पर अभी हम बात कर रहे महिलाओं के स्वास्थ्य की और इसी बात के लिए मैंने परिस्थितियों का अध्य्यन किया जिसमें महिलाओं की सोच, शिक्षा , पारिवारिक माहौल, आर्थिक स्थिति का स्वास्थ्य पर प्रभाव प्रमुख मुद्दा था। उसी आधार पर महिलाओं को बारह श्रेणियों में रखकर शारीरिक और मानसिक रोगों के लिए कौन जिम्मेदार ये जानने की कोशिश की। आइये निष्कर्ष पर एक नज़र डालें।

1) निर्धन अशिक्षित गृहणी - इस वर्ग की महिलाएं पैसे के आभाव में मानसिक और शारीरिक यातनाएं झेलती हैं और परिवार के भरण पोषण का पहले ध्यान रखने की विवशता में कुपोषण का शिकार होती हैं । नशे  के  सर्वाधिक आदी इस वर्ग की महिलाऐं शारीरिक शोषण से भी मुक्त नहीं हो पाती । जिसकी वजह से शारीरिक और मानसिक बीमारियों से जूझती हैं।

2) समृद्ध अशिक्षित गृहणी - आर्थिक स्थिति अच्छी होने की वजह से इस वर्ग की महिलाऐं अकसर शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होती हैं किन्तु अशिक्षित होने के कारण आधुनिक परिवेश में सामन्जस्य न बैठा पाने के कारण मानसिक रूप से बीमार रहती हैं जिसके लिए वो खुद जिम्मेदार हैं क्योंकि चाहे तो उपलब्ध साधनो का सदुपयोग कर प्रौढ़ शिक्षा का हिस्सा बनकर स्वयं को अवसाद जैसी बीमारियों से बचा सकती हैं। घर के कामों के साथ सामाजिक कार्यों का हिस्सा बनकर व्यक्तिव का विकास कर सकती हैं।

3) मध्यमवर्गीय अशिक्षित गृहणी - मध्यमवर्गीय महिलाएं भी अशिक्षित होने की वजह से मानसिक रूप से कमजोर होती हैं जो शारीरिक व्याधियों को बढ़ावा देता है।ये माहिलाएं भी अपनी स्थिति थोड़े से प्रयासों से सुधार सकती हैं ।

4) निर्धन शिक्षित गृहणी - आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद यह शिक्षित महिला वर्ग स्वछता और स्वास्थ्य का ध्यान रखता है ,धन के आभाव की वजह से मानसिक तनाव और परिस्थितिजन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझने के लिए सरकारी सुविधाओं और जानकारी का सदुपयोग कर जीवनस्तर सुधारने में लगा रहता है।

5) समृद्ध शिक्षित गृहणी - यह वर्ग सभी तरह की समस्याओं से निपटने के लिए सक्षम होता है, जानकारियों का उपयोग सही दिशा में करे तो इस वर्ग की महिलाएं अगर स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही न करें तो खुद को स्वस्थ रखने में समर्थ हैं।

6) मध्यमवर्गीय शिक्षित गृहणी - यह वर्ग भी शिक्षा और समय का सदुपयोग करते हुए जीवन यापन करें तो शारीरिक और मानसिक रोगों से दूर रह सकती हैं। आर्थिक सहायता के लिए आजकल अनेक संस्थाएं कार्यरत हैं जो बीमारियों के इलाज में मदद करती हैं। जरुरत है केवल जागरूक रहने की।

7) निर्धन अशिक्षित कामकाजी महिला -  ये महिलाऐं अकसर लोगों के घरों में काम करती हैं या मजदूरी करती हैं समय के अभाव में स्वस्थ के प्रति लापरवाह होती हैं, यह वर्ग थकान मिटाने और संगत से प्रभावित होकर सबसे ज्यादा नशे की आदी होती हैं और शारीरिक शोषण का भी शिकार होती हैं। यौन रोगों का संक्रमण उस वर्ग में सबसे ज्यादा पाया गया।

8) समृद्ध अशिक्षित कामकाजी महिला- यह वर्ग प्रायः सामाजिक कार्यों में ज्यादा संलग्न पाया गया, अकसर देखा गया समाज सेवा के नाम पर अलग अलग समूहों से जुड़ी ये महिलाएं ऐसे क्षेत्रों से जुडी होती हैं जिससे खुद भी जागरूक रहे और जरूरतमंदों को अपनी प्रतिष्ठा के लिए मदद करती रहें पर इनसे बातचीत करते हुए महसूस होता है की इनमे आंतरिक रिक्तता और मानसिक अवसाद मौजूद होता है। सक्षम होते हुए ये खुद के प्रति लापरवाह होकर दिखावे की जिंदगी जीती हैं। इस वर्ग में एल्कोहॉलिक महिलाओं का अनुपात भी अधिक पाया गया।

9) मध्यमवर्गीय अशिक्षित कामकाजी महिला- ये वर्ग भी छोटे मोटे कार्यों में संलग्न रहते हुए आर्थिक स्थिति सुधारने में प्रयासरत रहते हुए  अवसादग्रस्त पाया गया क्योंकि शिक्षा के आभाव में अकसर गृहद्योगों में संलग्न यह वर्ग मेहनत के अनुरूप फल न मिलने के कारण शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार रहता है पर सही दिशानिर्देश से यह वर्ग स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकता है।

10) निर्धन  शिक्षित कामकाजी महिला - ये महिलाएं सबसे ज्यादा जागरूक पाई गई स्वास्थ्य के प्रति। वर्तमान में चल रहे महिला सशक्तिकरण और सक्षमीकरण के साथ महिला जागरूकता मुहीम का सबसे बड़ा हिस्सा यही वर्ग है । सरकारी और गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा दी जाने वाली स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों और सुविधाओं जैसे मुफ्त इलाज और सेनेटरी पैड्स वितरण आदि का सर्वाधिक लाभ उठती हैं और लोगो तक जानकारियों का संचार भी करती हैं।

11) समृद्ध शिक्षित कामकाजी महिला - यह वर्ग स्टेटस मेन्टेन करने के चक्कर में इस तरह उलझा हुआ है की सबकुछ होते हुए भी अकेलापन और अवसाद का शिकार है । बीमारियों का इलाज करवाने में सक्षम होते हुए भी समयाभाव ने इस वर्ग को मनोरोगी बना दिया है। यदि समय काम और स्वास्थ्य के बीच सामंजस्य बना सके तो यह वर्ग सबसे सुरक्षित रह सकता है।

12) मध्यमवर्गीय शिक्षित कामकाजी महिला- आर्थिक स्तर सुधारने की मुहीम में जुटा यह वर्ग अतिरिक्त शारीरिक और मानसिक श्रम के कारण अधिकतम समस्याओं का शिकार है। ये अकसर बीमारियों को बढ़ने के बाद इलाज के लिए पहुचती हैं और यही लापरवाही समस्याओं को इतना बढ़ा देती हैं कि न ठीक से इलाज करवा पाती न सह पाती और डिप्रेशन में जीती हैं।
         पूरे विवरण पर नज़र डालने के बाद मुझे तो यही महसूस हुआ की महिलाएं अपने स्वास्थ्य के लिए काफी हद तक खुद जिम्मेदार हैं । शिक्षा एक अति आवश्यक तत्व है । डिग्रीयों से ज्यादा जरुरत व्यवहारिक शिक्षा की है जो आजकल अनेक सामाजिक संस्थाओं द्वारा प्रचारित प्रसारित की जा रही है। चिकित्सा संबंधी जानकारियों और सुविधाओं की भी समाज में कोई कमी नहीं है । भागमभाग की जिंदगी में सबसे ज्यादा मायने रखता है समय के साथ सामन्जस्य बैठाते हुए अपना ख्याल खुद रखें । सामाजिक , पारिवारिक और आर्थिक समस्याओं से रुबरु हर कोई होता है पर स्त्री-पुरुष  समानाधिकार की ओर बढ़ते कालचक्र में ये कारक गौण लगते हैं । इसलिए परिस्थितियों का रोना रोने से बेहतर है,..

*खुद को मजबूत बनाना और हर हाल में खुश रहते हुए सबसे अधिक फैले अवसाद नामक रोग से खुद को बचाना ।
*डाइट फूड के फैशन में न पड़ते हुए पौष्टिक आहार लेना ।
*संस्थाओं द्वारा दी जा रही स्वास्थय संबंधी जानकारियों को गंभीरता से लेते हुए निर्देशों का पालन करना।
*स्वच्छ और संयमित रहते हुए नशे और असुरक्षित यौन संबंधो से दृढ़तापूर्वक दूर रहना।
*सरकारी गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा मिल रही स्वास्थ्य सुविधाओं की पर्याप्त जानकारी रखना और जरुरत पर उपयोग करना ।
* आत्मनिर्भरता और व्यवहरिक शिक्षा की अनिवार्यता का महत्त्व समझना।
*** सबसे जरुरी बात सबकुछ जानते समझते हुए खुद को लापरवाही से रोकना ।

महिला हो या पुरुष अपने स्वास्थ्य के लिए सजग रहना स्वयं की जिम्मेदारी है (अवांछित परिस्थितियां या अपवाद की बात और है) किंतु शरीर हमारा है,मन हमारा है,जीवन हमारा है तो इसे संभालने का दायित्व भी हमारा ही है । ये विचार पूर्णतः मेरे व्यक्तिगत विचार हैं सब सहमत हो ये अनिवार्य नहीं और जो असहमत हैं उन्हें किसी बात से ठेस पंहुचे या आपत्ति हो तो क्षमाप्रार्थी हूं,....
विशेष:- मेरी नज़र में गृहणी का कार्यक्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है यहाँ कामकाजी महिलाओं से मेरा तात्पर्य गृहकार्यों के अतिरिक्त कोई अन्य कार्यक्षेत्र से है,.... प्रीति सुराना


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