हां!!
ले आई हूं
चुरा के कुछ पल
कुछ यादें
अपने साथ मैं,..
जिनमे शामिल है,..
किशोरजी-शशिजी का समर्पण,
गोवेर्धनजी-आशाजी का सामंजस्य,
राजाराम जी,कासिम जी रोहितजी की मेहनत,
आशा जी की छलकती हुई हंसी,
नेहा जी विनीता जी की सगोत्र रिश्तेदारी,
संगीता जी की पेंटिंग्स से भाव,
निर्मला जी की निर्मलता,
शुभदाजी की शुभकामनाएँ
सोमा जी की केअर और चुलबुलाहट,
निवेदिता जी की जिंदादिली,
अमृता जी का शिष्टाचार,
बादल और ऋषि का स्नेह,
रघुनाथजी और सरन जी का आशीर्वाद,
दीपक जी से कुर्सी का तमगा
और शेष सभी मित्रों का प्रेमपूर्ण व्यव्हार और अपनापन,..
शब्द नहीं इतने की सबके लिए ,
जितने भाव मैं भर लाई हूं,...
'हम सब साथ-साथ' की
यादों का पिटारा
और चुराए हुए पल
जीवन भर प्रेरित करते रहेंगे
कि
कितनी भी मुश्किल हो डगर
चलते रहना है
यही सीखा
यही समझा
कारवां बनता रहेगा
काफिला चलता रहेगा
हौसले बुलंद रखना
हौसला ही साथ चलता रहेगा,...प्रीति सुराना
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