Saturday 20 February 2016

बेटी बोझ नहीं है (वर्णपिरामिड)


जो
मेघ
गरजे
न बरसे
पुत्र का मोह
वैसा ही अहं है
बेटी बोझ नहीं है।

जो
प्राणी
अज्ञानी
मोहवश
सोचे समझे
सुता को बंधन
है जल बिन मेघ।

वो
दीन
फतिंगा
अहंवश
पुत्रमोह में
सुताबंध माने
मोह सूखा चौमासा।

प्रीति सुराना

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