जो
मेघ
गरजे
न बरसे
पुत्र का मोह
वैसा ही अहं है
बेटी बोझ नहीं है।
जो
प्राणी
अज्ञानी
मोहवश
सोचे समझे
सुता को बंधन
है जल बिन मेघ।
वो
दीन
फतिंगा
अहंवश
पुत्रमोह में
सुताबंध माने
मोह सूखा चौमासा।
प्रीति सुराना
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जो
मेघ
गरजे
न बरसे
पुत्र का मोह
वैसा ही अहं है
बेटी बोझ नहीं है।
जो
प्राणी
अज्ञानी
मोहवश
सोचे समझे
सुता को बंधन
है जल बिन मेघ।
वो
दीन
फतिंगा
अहंवश
पुत्रमोह में
सुताबंध माने
मोह सूखा चौमासा।
प्रीति सुराना
सही कहा
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