सुनो!!
जिम्मेदारियां
जैसे-जैसे बड़ी हो रही हैं
ख्वाहिशों की उम्र ढलने लगी है,...
जाने कब ख्वाहिशें दम तोड़ दें
ख़्वाहिशें पूरी होने का भी
आखिर कब तक इंतजार करुं,...?
तुमने तो समझा दिया
सब्र करो
"सब्र का फल मीठा होता है"
पर अभी अभी
गुजरा वक्त सिखा गया
"वक्त किसी का इंतजार नहीं करता"
तुम्ही बताओ
जब वक्त इंतजार नहीं करता
तो सब्र किसके लिए,किसके भरोसे,...??? ,... प्रीति सुराना
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