यथार्थ की धरा पर मखमली अहसास से रिश्ते।
निभें तो जनम-जनम का विश्वास हैं रिश्ते।।
नया ही रंग है हरपल, प्यार है, मनुहार है रिश्ते।
यादों के झरोखों में बसा संसार है रिश्ते।।
भावनाओं का समर्पण है, दिल का दर्पण है रिश्ते।
यही बंधन, यही मुक्ति, जीवन आधार है रिश्ते।।
फूलों की पंखुरियों से सहेजे जाएं गर रिश्ते।
महकाते हैं जीवन को बड़े गुलजार ये रिश्ते।।
सब मिलें एक साथ जब लगे त्यौहार से रिश्ते।
बिना शर्तों के निभे अगर तो है उपहार ये रिश्ते।
लगती जान की बाजी बचाने को महज़ रिश्ते।
खरीदे से नहीं मिलते बड़े अनमोल है रिश्ते।।
सपनों को सजाने का सुन्दर दरबार है रिश्ते।
दुनिया को चलने का सतत् व्यवहार है रिश्ते।।
प्रीति सुराना
ati sunder
ReplyDeleteati sunder
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