Saturday, 14 November 2015

ये बचपन क्यूं है,...

अज़नबी सा ये सारा आलम क्यूं है
पराया सा लगता ये अपनापन क्यूं है
जो जैसा था वैसा ही क्यूं नहीं रहता
बड़ा होना ही है तो ये बचपन क्यूं है,...प्रीति सुराना

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