तुम्हे
यकीन था
लौट आऊंगी मैं
इसलिए
तुमने कभी
रोका नहीं मुझे,...
और
कभी तुमने
रोका नहीं मुझे
इसलिए
इस बार ज़िद है
बिना मनाए लौटूंगी नहीं मैं,..
माना
यकीन
टूटेगा तुम्हारा
पर
दिल
मेरा भी टूटता है,..
मैंने
प्यार किया है
तुमसे
पर
ये कब कहा था
कि रुठूंगी नहीं मैं,...
सुनो!!
मुझे
तुमसे रुठने का हक़ है ना???
तुम्ही सोचो ना!!!!
भला बिना रुठने-मनाने के
प्यार पूरा होता है कभी,...?? ,...प्रीति सुराना
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