आज
सीने में चुभन,.. एक टीस,..
एक अजब सी बेचैनी,.
सांसें अनियमित,.. धड़कनें विचलित,..
माथे पर पसीना,..वामांग में असहनीय दर्द,..
चिकित्सक ने कहा
दिल का दौरा पड़ने के लक्षण हैं,...
अचंभित हूं
नियति के कारनामे पर
दिल शरीर के बाएं हिस्से में बनाया,..
और फिर
स्त्री और पुरुष से संयोग में
स्त्री को पुरुष की
वामांगी नियुक्त किया,..
तभी तो
मैं तुम्हारे वामांग में रह कर
तुम्हारे दिल की हर बात महसूस कर लेती हूं,..
इसीलिए मेरे प्रति जरा सी उपेक्षा
और पास होकर भी दूरी महसूस करते ही
दिल के दौरे के सारे लक्षण उभर आए
क्यूंकि दिल की तरह मैं भी तुम्हारी वामांगी जो हूं,..
पर
मन में एक सवाल बार-बार उठता है,
मेरा दिल भी बाएं हिस्से में बनाकर
अन्याय नहीं किया नियति ने,...
क्यूंकि जब मेरे दिल में दर्द होता है
तब तुम दाहिने रहकर मेरी पीड़ा को
मेरी भावनाओं को महसूस नहीं कर पाते
जो मेरे दिल में उठती है,..
सुनो!!!
मेरे दिल ने एक जवाब दिया है
आज मुझे मेरे सवाल का,..
हम दोनों के दिल बाएं हिस्से में हैं,..
हमारे आलिंगन से
दो दिल बिलकुल करीब होते हैं,..
और पहुंच जाती है
दिल से,...दिल तक,..दिल की बात,...
और मिल जाती है हर पीड़ा को राहत,...
तुम्हारा आलिंगन
मेरे लिए
दिल के दौरे के बाद मिली
आवश्यक आपातकालीन चिकित्सा ही तो है
तभी तो जीवित हूं अब भी,...
और रहूंगी जीवित तब तक
जब तक तुम मेरे कमजोर पलों में
आलिंगनबद्ध करके मुझे संभालते रहोगे,... प्रीति सुराना
बहुत सुन्दर रचना
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