Tuesday 29 September 2015

अज्ञात भय

जब से
पिंजरों में कैद परिंदों को
खुश देखा है,..
समेट लेना चाहता है अपने पंख,..
जाने क्यूं
अब उड़ने की चाह नहीं,...

सुना है
कुछ परिंदों को
पिंजरों की इतनी आदत हो जाती है
कि खुला छोड़ देने पर भी
वो सिमट कर
अपने पिंजरे में ही रहना चाहता है,..

वो परिंदा
खुश होता है
अपनी उड़ान के बिना भी,.
क्यूंकि
सुरक्षित महसूस करता है
खुद को कैद में भी,..

क्यूंकि
उड़ान भरते ही
उसे सहना होता है
प्रदूषित वातावरण,.
शिकार होने का भय,.
पर कतर दिए जाने का डर,.

और
किसी जाल में फंसने का
'अज्ञात भय'
इन सबसे तो बेहतर है ना
किसी अपने की सर्व सुविधायुक्त
कैद में सुरक्षित रहना,..

सबकी नज़र में गलत ही सही
पर शायद
ऐसे ही किसी परिंदे से
सीखा होगा
ये गुरुमन्त्र
मेरे मन के बावरे परिंदे ने ,....प्रीति सुराना

1 comment:

  1. बेह्तरीन अभिव्यक्ति

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