जिंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र,.
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं,..
ऐसे कितने ही गीत हम सुनते और गुनगुनाते हैं अकसर,..कभी सोचा कि ये गीत भी आखिर किसी तजुर्बे का ही नतीजा होंगे,..कितनी आसानी से परिभाषित किया गया है जिंदगी को एक सफ़र के रूप में,..वैसे तो
जिंदगी सहेली है पहेली है या छावं या धूप है,
जिंदगी की अदाएं और नाज नखरे भी खूब है,
जिंदगी में कल क्या होगा ये खबर नहीं बस फिक्र है,
जिंदगी अफ़साना है इसके जाने कितने रंग रूप है?,...
पर मान लें कि जिंदगी एक सफ़र है,...एक ऐसा सफ़र जिसकी मंज़िल मृत्यु है,..जन्म से मृत्यु का सफ़र यानि जीवन या जिंदगी,.
चलिए चलते हैं मेरी कल्पनाओं के एक लंबे सफ़र में,..ऐसा सफ़र जो मैंने तनहा शुरु किया,..जीना चाहती थी कुछ पल सिर्फ अपने लिए,.. देश भ्रमण पर जाने के पहले खूब सारी तैयारियां की,.. रिजर्वेशन करवाया,. टिकट,पैसे,परिचयपत्र,कपड़े, कास्मेटिक, दवाइयां, चादरें, किताबें, मोबाईल,लैपटॉप, चार्जर, क्रेडिट कार्ड,चेन-ताला-चाबी और भी जाने कितनी चीजें सहेज के बैग में रखी,.. घर से निकलते समय ईश्वर के सामने हाथ जोड़े,..बड़ों के आशीर्वाद लिए,. छोटों को दुलार किया,.. निकलते समय घर को कुछ इस तरह देखा मानो कुछ छूट रहा है,... घर से बाहर निकलते ही मन कचोटता सा महसूस हुआ,..पर खुद को मजबूत किया और बैठ गई जाकर अपनी सीट पर,..।
बैठते ही ऐसा लगा जैसे एकदम अनजान जगह और अनजान लोगों के बीच आ गई हूं,..एकाएक असहजता महसूस की,..लोगों की नजरों में सवाल नजर आए,..एक अकेली लड़की देश भ्रमण के यात्रियों के डिब्बे में,....?? कुछ देर बाद थोड़ा सहज होने की कोशिश की,..आखिर देश भ्रमण का लंबा समय इन सब के साथ काटना था,... इसलिए सहजता से शुरु किया सफ़र साझा करने, समझौता करने से होते हुए विश्वास प्रेम और समर्पण से गुजरता हुआ देश भ्रमण की मंज़िल तक पंहुचा,..।
पूरा सफ़र कई छोटे बड़े हादसे,..झगडे, कलह, शीतयुद्ध, ईर्ष्या, नफ़रत, अभाव और अविश्वास जैसे पहलुओं से होकर गुज़रा,..।इस सफ़र ने जन्म और मृत्यु भी अपनी आंखों से देखे,...इस सफ़र ने बहुत सारी सीख दी,..।जैसे सफ़र में किन किन बातों की तैयारी करनी होती है,..किस तरह से एक सफ़र को सफलता पूर्वक मंज़िल तक लेकर जाना होता है,..कितने हादसों का सामना करना होता है,..कितनी ऊंची नीची परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है,..कितने ही सुन्दर और कितने ही भयावह रास्तों से गुजरना पड़ता है,.. कितने ही अच्छे बुरे पड़ावों पर ठहराना पड़ता है,..तब जाकर मंज़िल मिलती है,..तब जाकर ये समझ आता है,..
जिंदगी एक सफ़र है सुहाना,..
यहाँ कल क्या हो किसने जाना??
अब जब समझ में आया कि जिंदगी एक सफ़र है तब ये भी समझ में आया की जन्म से मृत्यु तक का सफ़र भी इसी तरह सहजता से शुरु होकर पाने-खोने, मिलने-बिछुड़ने, लड़ने-झगड़ने , रुठने-मनाने , प्रेम- नफरत ,वासना -लालसा , मांग-पूर्ति, विश्वास-धोखा और ऐसी ही अनेकानेक सम और विषम परिस्थितियों से गुजरता है,..जिंदगी और सफ़र बिलकुल एक से ही तो हैं,..जिंदगी में भी हादसों का सामना करना होता है,..जिस तरह सफ़र में साथ होते हैं अरमान और सपनें वैसे ही जीवन में ही कई ख्वाहिशें होती है,..जरुरी नहीं की सारे सपनें पूरे हो,..कुछ सपनों का टूटना बिखरना और चुभना भी किसी सुन्दर दृश्य को करीब से न देख पाने से उपजे दुःख,..किसी पड़ाव पर सामान खो जाने के दर्द जैसा या किसी पड़ाव से गुजर जाना और न रुक पाने जैसी कितनी ही मजबूरियों से रुबरु होना होता है,...।
जब जिंदगी को सफ़र मान ही लिया है,..तो जिंदगी के सफ़र को सुखद और सफल बनाने के लिए भी वैसी ही तयारी की जानी चाहिए।
बुनियादी जरूरतों रोटी,कपड़ा और मकान से लेकर रिश्ते,नाते,भावनाएं और साथ-साथ हर अच्छी बुरी परिस्थिति का सामना करने के लिए शारीरिक मानसिक और आर्थिक तैयारी,.. ईश्वर की कृपा,बुजुर्गों का अशिर्वाद और अपनों का प्रेम ,.. सब कुछ साथ लेकर ही जीवन का सफ़र सफलता पूर्वक तय किया जा सकता है,.।और भी कुछ महत्वपूर्ण छोटी छोटी बातें हैं जो ध्यान रखी जानी चाहिए,.. जैसे,.....
विचारों में सकारात्मक्ता ज्यादा हो,..(मेरी एक अभिन्न सखी हमेशा कहती है हमेशा उनका हाथ थामकर चलो जो आपको सकारात्मक ऊर्जा देते हैं ताकि जीत सको हर परिस्थिति से,...)
अपने साथ थोड़ी नकारात्मकता भी रखनी चाहिए,..(कभी कभी नकारात्मकता भी सहयोगी और उपयोगी होती है,..क्योंकि कुछ नकारात्मक सोच सतर्कता से सम्बंधित होती है,..)
अपने सफ़र के रास्तों पड़ाव और मंज़िल की पहले से कुछ जानकारियां अनुभवी जनों या किताबों से इकट्ठी करके रखें,.. (शायद इसीलिए सब कहते हैं,..पढ़ना जरुरी है,...)
अपेक्षाओं का भार कम से कम हो तो बेहतर,..(पर कुछ अपेक्षाओं से रिश्ते मजबूत होते हैं)
उपेक्षाओं का सामान साथ न के बराबर ही हो,..(उपेक्षा का भाव सिर्फ आत्मसम्मान की रक्षा के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए)
हमसफ़र का विशेष ख्याल रखा जाए (क्योंकि जिनके साथ चलना है,..उनके साथ सामंजस्य सफ़र को सुखद बनाता है,.)
जरुरत का हर सामान व्यवस्थित और सूचीबद्ध करना चाहिए,..(ताकि जरुरत पड़ने पर सामानों को सही तरीके से और सही समय पर उपयोग किया जा सके,..)
समय की महत्ता को समझकर ही चलें या रुकें,..(क्यूंकि एक मिनट के लिए गाड़ी का छूटना और सफ़र में व्यवधान,..)
मंज़िल तक पहुचनें का लक्ष्य कभी न भूलें (क्योंकि लक्ष्य से नजर हटी और दुर्घटना घटी,..)
हादसों से निपटने और सामना करने का हौसला,.. (हौसला है तो मंज़िलें है,..),..
मेरे पास अनुभव बहुत कम है,..माना कि सभी सहमत न भी हों मेरी बातों से,..फिर भी जिंदगी की सफ़र के रूप में कल्पना करके मैंने जो समझा जो जाना और जो माना है वही साझा किया है आप सबसे,...मुझे लगता है,...
ये जीवन है इस जीवन का यही है रंग रूप,..,...प्रीति सुराना
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