Friday 7 August 2015

जिंदगी,..क्या है

जिंदगी सहेली है पहेली है या छावं या धूप है,
जिंदगी की अदाएं और नाज नखरे भी खूब है,
जिंदगी में कल क्या होगा ये खबर नहीं बस फिक्र है,
जिंदगी अफ़साना है इसके जाने कितने रंग रूप है?,...प्रीति सुराना

6 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को शनिवार, ०८ अगस्त, २०१५ की बुलेटिन - "पश्चाताप के आंसू" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद। जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव।

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  2. बहुत बढ़िया ...

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  3. बहुत सुंदर

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  4. आभार इस बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिए

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