Tuesday, 4 August 2015

एक डर सा है

जब आज मैं सह ना पाई पीर,
मेरी आंखों से भी छलके नीर,
मन में अनजाना एक डर सा है,
मैं खो ना दूं कहीं अपना धीर,...प्रीति सुराना

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