Wednesday 12 August 2015

तुम ज़िद हो,..

तुम ख्वाहिश की धूप मेरे आंगन की,
तुम उम्मीद की छांव मेरे जीवन की,
तुम ख़्वाब मेरे,तुम जीने की वजह,
तुम ज़िद हो मेरे इस ज़िद्दी मन की,. प्रीति सुराना

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