हां!
मैं
नहीं करती
तुम्हारी बातों पर
यकीन,..
मुझे
नहीं है भरोसा
तुम्हारे चेहरे पर लिखे
इनकार पर भी,.
क्यूंकि
मैंने पढ़ा है
आंखों देखा और कानों सुना भी
गलत हो सकता है,..
मुझे यकीन है
सिर्फ मेरे मन पर
जो हर पल
एहसास दिलाता है,..
तुम्हे मुझसे प्यार है,.. प्रीति सुराना
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबढ़िया !
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