कभी
सागर से,..
खरे मोती तो मैंने चुने नहीं,..
क्योंकि
अब तक यही जाना, माना और समझा है,..
जिन रिश्तों पर हम
दिल और जान निसार करते हैं,...
वो रिश्ते हर कीमत पर
अनमोल खूबसूरत खरे मोतियों से होते है,...
जिन्हें हम प्यार करते हैं,..
उनकी बुराइयां कहां नज़र आती हैं हमें,..
बुराइयां तो तब दिखती है
जब दिलों में दूरियां आती है,...
मुझे लगता है
रिश्तों का खरापन
हमारी भावनाओं के खरेपन से जुड़ा है,...प्रीति सुराना
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