Thursday, 2 July 2015

तुम मुझे बहकाते बहुत हो,...


कुछ नहीं कहना सुनना मुझे,..
तुम मुझे बहकाते बहुत हो,...
रूह से महसूस करने की बात करके,..
तुम रूह को तड़पाते बहुत हो,...
ये मैं भी जानती हूं,.. 
इश्क के दस्तूर क्या हैं,..
लेकिन तुम हो कि मैं जानता हूं,..
ये जता-जता कर इठलाते बहुत हो,...प्रीति सुराना

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