Thursday 30 July 2015

चुभता है मुझे तुम्हारा चुप रहना,

हां!!
बहुत चुभता है मुझे
तुम्हारा चुप रहना,..
क्योंकि
मैं वो सब सुनना चाहती हूं
जिनके लिए 
तुम्हारे पास शब्द नहीं,..
पर झलकता है 
सब कुछ,

तुम्हारी आंखों से,
तुम्हारी सांसों से,
तुम्हारी मुस्कान से,
तुम्हारी उदासी से,
तुम्हारी दूरी से,
तुम्हारी नजदीकियों से,
तुम्हारे स्पर्श से,..
माना 
तुम कर देते हो 
मेरी हर ख्वाहिश पूरी
मेरे कहने से पहले,.
मैं महसूस कर सकती हूं
तुम्हारी हर भावना
बिन कहे-बिन सुने,.
बिलकुल
उस बुत की तरह 
जिसे भगवान कहते हैं,
जिसके सामनें बैठकर 
घंटो मैं मांगती हूं तुम्हारा साथ,..
उस तक और तुम तक
मेरी एक नहीं फरियाद 
क्यों नहीं पहुंचती...??????
सच!!
बहुत चुभता है मुझे
तुम्हारा चुप रहना,....प्रीति सुराना

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