अपनापन
प्रेम
भरोसा
परवाह
भावनाओं के ढेर सारे
धागों को
बुनकर आई हूं
अपने नेह से,..
इस तरह
रिश्तों के ताने-बाने ने ली है
एक खूबसूरत
चादर की शक्ल,...
एक ऐसी चादर
जो रखेगी
महफूज़
हर मौसम में,..
सुख के मौसम में
राहत भरा स्पर्श बनकर,..
दुःख के मौसम में
सुरक्षा का एहसास बनकर,..
धूप में
सर पर छत्र बनकर,..
छांव में
आरामदेह बिछौना बनकर,..
और
भावनाओं के
ताने बाने से बुनी
चादर
अब रहेगी उम्र भर
रिश्तों का खूबसूरत दामन बनकर
हर वक्त....
हे ईश
ऐसी चादर
ओढ़ के हरदम
द्वार तुम्हारे आऊं
याचना भी यही
प्रार्थना भी यही,...प्रीति सुराना
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