सुनो!!
क्यूं बार-बार
एक ही बात पर
उलझते हो मुझसे..?
कहा ना
मैं नहीं दूंगी,..
तो नहीं दूंगी,..,..
चलो
मान लिया मैंने
मेरी नीयत ही ख़राब है
मेरी नीयत
हमेशा लेने की रही है
देने की नहीं,..
हां
मैं तुम्हारी हूं तो हूं,..
इसलिए
चाहो तो मांग लो
हर ख़ुशी,..
चाहो तो मांग लो
जिंदगी,...
पर
मेरे दर्द सिर्फ मेरे हैं,..
क्यूंकि
सचमुच
स्वार्थी हूं मैं
दर्द के मामले में,...प्रीति सुराना
0 comments:
Post a Comment