सुनो !!
वो ऊपर खिड़की से
जो मुट्ठी भर
छोटा सा टुकड़ा
दिख रहा है न
आसमान का,..
मेरे लिए
तुम्हारा साथ
उस आसमान के टुकड़े को
अपने दामन में
संजोने जैसा है
और हां !!
मैं खुश हूं
अपने दामन में
अपने हिस्से के
मुट्ठी भर
आसमान को समेट कर,...
मुझे नहीं चाहिए
दामन को सजाने के लिए
चांद और सितारे
क्योंकि
यूं ही बहुत सुन्दर है
मेरे हिस्से का थोड़ा सा आसमान,...
मैं खुश हूं
बहुत खुश तुम्हे पाकर,...प्रीति सुराना
वाह सच में संतोषी सदा सुखी |उम्दा रचना |
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