Thursday, 2 July 2015

बचपन को जी भर के जीती हूं

हां
मैं खिलखिला कर बच्चों सी हंसती हूं जब बच्चों से मिलती हूं,..
मैं दर्द में बिफर कर रोती हूं जब अपनों से मिलती हूं,..
जिंदगी को जीने में ज़रा सी भी कोताही नहीं करती,..
बचपन को जी भर के जीती हूं जब दोस्तों से मिलती हूं,..प्रीति सुराना

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