Monday 11 May 2015

जमाने को दिखाने के लिए,..,.

जख्म अपने हम जमाने से छुपाने के लिए,..
मुस्कुराते हैं जमाने को दिखाने के लिए,..

कहीं  अश्क कर दे न बयां हाल ए दिल ,.. 
वो ढूंढते हैं तरीके हमको रूलाने के लिए ,..

यूं तो मिलते है रोज ख्वाबों मे आकर हमसे,..
रखते है फासले औरों को बताने के लिए,..

किस्से उनके वैसे तो बहुत है हमारी य़ादों में,
पर नाम ही काफी हैं सबको सुनाने के लिए,..

किया था वादा इक रोज भूला देंगे उनको,
पर करते है रोज याद उनको भुलाने के लिए,..

जख्म अपने हम जमाने से छुपाने के लिए,..
मुस्कुराते हैं जमाने को दिखाने के लिए,..,....प्रीति सुराना

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