Tuesday, 12 May 2015

"मैं रूठूं और तुम मनाओ"



सुनो !!!
बहुत मन है
आज फिर से
रूठने का तुमसे
पर कोई बहाना तो दो,..

वो पल
बहुत याद आते हैं
जब तुम्हारी बांहों में आने के लिए
मैं रोज रूठने के
नए-नए बहाने ढूंढा करती थी,..

ये रोजी-रोटी भी ना 
सबसे बड़ी दुश्मन है,
हमारे प्यार की,...
न वक्त देती है न मौका
कि "मैं रूठूं और तुम मनाओ,..,... प्रीति सुराना

(आया है मुझे फिर याद वो ज़ालिम
गुज़रा जमाना यौवन का,....... :) )
smile emoticon

4 comments:

  1. बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें. कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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