Thursday, 20 March 2014

रिश्तों को जल कि तरह होना चाहिये ना,...???

आज 
यूंही एक खयाल 
मन में बार बार आ रहा है
रिश्ते कैसे हों,......????????????

पारदर्शिता क्रो 
रिश्ते का अनिवार्य गुण मानने वाले 
अकसर यही कहते हैं
रिश्तों को कांच की तरह पारदर्शी होना चाहिये,....

कांच पर ज़रा सी चोट से दरारें आ जाती हैं
वक्त और परिस्थितियां  बार-बार 
रिश्तों पर चोट करती हैं,..
कितनी बार दरकते रिश्ते,..??

वैसे तो कांच ठोस और दिखने में कठोर भी होता है,..
पर होता बहुत कमजोर है,...
तभी तो ज़रा से आघात से टूटकर बिखर जाता है
बिलकुल अहम् से ग्रसित रिश्ते की तरह,...

ऐसे में इसे समेटना भी चाहो,..
तो बस हाथों का लहूलुहान होना तय है,..
और नामुमकिन है फिर इसे जोड़ पाना
पहले की तरह,...

इस विषय पर बहुत सोचा मैंने 
और जानते हो
बहुत घबरा गई मैं ये सोच कर 
हमारा रिश्ता कांच की तरह होता तो,..??

सुनो !!!!!!!!!!!!
रिश्तों को जल कि तरह होना चाहिये ना,...???

जल भी तो पारदर्शी है
पर कितना सरल भी है और तरल भी
तभी तो जंहा रहता है वैसा ही हो जाता है,..
जल में कोई भी रंग मिला दो ना तो उसका स्वभाव बदलता है ना गुण,..

परिस्थितियां अगर उसे ठोस(बर्फ) बना दें
या वाष्प में बदल कर 
उसका अस्तित्व मिटाने की कोशिश भी करे
जल पुनः  अपने वास्त्विक रुप में आने का सामर्थ्य रखता है,...

जल कभी गलती से गिर भी जाए,..
तो टूटकर किसी को चोट नही पहुंचाएगा,..
बह जाएगा/सूख जएगा/जम जाएगा,,...
पर सृष्टि में मौजूद रहेगा,... फिर जल बनने की संभावनाओं के साथ,..

सुनो ना !!,..

आज वादा करते हैं हमारा रिश्ता भी पारदर्शी रहेगा 
पर कांच की तरह नही,... जल की तरह,..
जिसमे किसी रंग के मिलने से पारदर्शिता भले ही खत्म हो जाए,..
पर रिश्ते की संभावनाएं कभी खत्म ना हो,..

इसलिये आज से हम 
हमारे रिश्ते को जल की तरह ही 
संचित और सुरक्षित रखेंगे
क्यूंकि सच तो ये भी है ना,... 

"जल है तो जीवन है",..!!,..................प्रीति सुराना



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