अच्छा लगता है
जब कोई मेरी वजह से
खुश होता,...
सब कहते हैं
मैं सबका कहा सुनती हूं
मानती हूं,..
क्योंकि
मुझमें नहीं है सामर्थ्य
खुद कुछ सोचने समझने या करने का,..
"मैं कमजोर हूं",...????
बस
मैं लोगों की इसी बात को
मानने से इनकार कर देती हूं,..
मेरा यही इनकार
मुझे देता है
मजबूती और संतुष्टी,..
और तब मैं जीत जाती हूं
अपने कर्तव्य और समर्पण के बल पर
जिंदगी का हर इम्तिहान,..
और इस तरह
स्वतः ही यह साबित हो जाता है
"मैं कमजोर नहीं हूं",..,..???,......प्रीति सुराना
(पेंटिंग गूगल से साभार)
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteइस पोस्ट की चर्चा, शनिवार, दिनांक :- 15/03/2014 को "हिम-दीप":चर्चा मंच:चर्चा अंक:1552 पर.
aabahar
Deletedhanywad
ReplyDeleteबात गहरी है,
ReplyDeleteन कहें कुछ,
यदि दुनिया बहरी है।
thanks
Deleteबेहतरीन .. होली की हार्दिक शुभकामनाये
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