Friday, 14 March 2014

"मैं कमजोर नहीं हूं",..,..???

अच्छा लगता है
जब कोई मेरी वजह से
खुश होता,...

सब कहते हैं
मैं सबका कहा सुनती हूं 
मानती हूं,..

क्योंकि
मुझमें नहीं है सामर्थ्य 
खुद कुछ सोचने समझने या करने का,..

"मैं कमजोर हूं",...????

बस 
मैं लोगों की इसी बात को 
मानने से इनकार कर देती हूं,..

मेरा यही इनकार
मुझे देता है 
मजबूती और संतुष्टी,..

और तब मैं जीत जाती हूं
अपने कर्तव्य और समर्पण के बल पर
जिंदगी का हर इम्तिहान,..

और इस तरह 
स्वतः ही यह साबित हो जाता है
"मैं कमजोर नहीं हूं",..,..???,......प्रीति सुराना
(पेंटिंग गूगल से साभार)


6 comments:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
    इस पोस्ट की चर्चा, शनिवार, दिनांक :- 15/03/2014 को "हिम-दीप":चर्चा मंच:चर्चा अंक:1552 पर.

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  2. बात गहरी है,
    न कहें कुछ,
    यदि दुनिया बहरी है।

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  3. बेहतरीन .. होली की हार्दिक शुभकामनाये

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