Monday, 23 December 2013

"कितना जल है बादल में,.."

मैने हैं कितने दर्द छुपाए अपने मन के आंचल में,
पल पल कितना रोई हूं मैं नयन छुपाके काजल में,
कैसे कोई जान सकेगा मेरे दिल की बातों को,
जान नही पाता हर कोई कितना जल है बादल में,,.. प्रीति सुराना

1 comment:

  1. न जाने कितना जल छिपा है, आँखों में।

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