Tuesday, 19 November 2013

यकीन कैसे करूं

सुनो !!!

मैं 
यकीन कैसे करूं
जिंदगी के इस सच पर,..

तुम्हारा मेरे दिल में 
बस जाना 
धड़कन की तरह,...

मेरी सांसों में 
घुल जाना 
खुशबू की तरह,...

और
मेरी जिंदगी बनकर 
एक दिन,..

यूं तुम्हारा 
बदल जाना 
मौसम की तरह,...

मानो 
सपनों के चेहरे पर
सच के छींटे मारकर,..

नींद से जगाया हो 
किसी ने
अभी-अभी,.....,.....प्रीति सुराना

13 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति-
    सादर आभार

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  2. nice lines..
    most welcome here
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

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  3. कल 21/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका

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  4. बहुत सुन्दर कृति ..

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  5. खूबशूरत अहसास ,
    सपने तो सपने होते हैं
    नहीं कभी अपने होते हैं
    सपनों को मर जाने से
    जीवन मरा नहीं करता है
    मधु"मुस्कान"

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