सुनो!!!
जब तुम जाते हो काम के लिए बाहर,
तुम्हारी अनुपस्थिति में
अकसर गुजारती हूं शामें,..
कभी घर के आंगन में कभी घर की छत पर,..
पिछले कुछ दिनों से
एक पक्षी युगल नें
अपना नीड़ बना रखा है
हमारे आंगन में लगे पेड़ पर,..
मैं साक्षी हूं
उस नीड़ के निर्माण की
जिसे उस पक्षी युगल ने
तिनके तिनके जोड़कर बनाया है,..
मैं साक्षी हूं
नीड़ में पलते उनके भविष्य की
जिसे दोनों ने सींचा है
प्यार और सतर्कता से,..
मैंने देखा है
उनके 'भविष्य' के बचपन को
खेलते अपने आंगन में
और उड़ान के प्रशिक्षित होते हुए भी,..
कई बार कोशिशों के बाद
नन्हे पंछी ने उड़ना सीखा,
थोड़ थोड़ी ऊंचाई और दूरी
बढ़ते देखी मैंने हर रोज,..
पर कई दिनों तक लगातार
जब वो उड़ान भरते
वो लौट आता
हर बार कुछ दूर जाकर,..
नीड़ के मुहाने बैठकर
राह तकती मां को देखकर लगता था
मानों वहीं तक जाता हो
जंहा तक वो सुन पाता अपनी मां की आवाज,..
पर आज आंगन सूना है
नीड़ पर राह तकता कोई नहीं है,..
बिना चहचहाहट के
उस पक्षी युगल ने दाने चुग लिए,..
मैं कुछ समझ पाती
उससे पहले अचानक मेरी नजर पड़ी,
हमारी दहलीज के बाहर
सड़क के उसपार वाले बड़े से पेड़पर,..
आज कुछ ज्यादा ही
कलरव सुनाई दिया,
फिर देखा वंहा
कुछ नए जोड़ों को घर बनाते..
वो नन्हा पंछी बड़ा हो चला है,
बना लिया है वंहा उसने
अपना खुद का आशियाना,
ताकि उड़ने को आसमान और पास हो,..
बरबस मेरी नजर पड़ी
मेरे आंगन के पक्षी युगल पर,
जो लगातार देख रहे थे
बड़े पेड़ की सबसे ऊंची डाली पर,..
फिर चला गया
वो पक्षी युगल भी अपने नीड़ में,
क्यूंकि उन्हे पता है वो नही आएगा
जिसकी आज तक की थी प्रतीक्षा,..
ओह!!!
बहुत देर हो गई
अब अंधेरा भी होने को था,.
चलो अच्छा तुम आ गए,..
चलो हम भी चलें भीतर,..
हम दोनों को भी जीना है,..
आगे की जिंदगी
हमारे आंगन के पक्षीयुगल की तरह,....प्रीति सुराना
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,धन्यबाद।
ReplyDeleteजय जिनेन्द्र
ReplyDeleteप्यारी कविता पढ़वाई
सादर
Very creative lyrics in rhythm ; full of in tellectual riches and genius.
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [30.09.2013]
ReplyDeleteचर्चामंच 1399 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
सादर
सरिता भाटिया
जिंदगी पक्षी की प्रतिविम्ब दुनिया कि रीत की,हम सब की .
ReplyDeleteनई पोस्ट अनुभूति : नई रौशनी !
नई पोस्ट साधू या शैतान
chalo achchha hua, ham bhi yahan pahuch hi gaye :)
ReplyDeletevarna !!
itni pyari si abhivyakti rah jati hamare najro ke samne aane se :)
लाजवाब!
ReplyDeleteसादर
मार्मिक रचना
ReplyDelete