Wednesday, 5 June 2013

इजहार,उपहार और प्यार

सुनो!!

मैंने
किसी अपेक्षा से तुमसे प्यार नही किया
इसलिए
टुकड़ों टुकड़ों में नही चाहिए
तुम्हारा इजहार,उपहार और प्यार

मैं
किश्तों में क्यू पाऊं तुम्हे
जब
मैंने तुम्हे पू्र्णता से चाहा है
एक ही पल में ताउम्र के लिए

मैंने
तुमसे कुछ नही चाहा
क्योंकि
मैंने तो तुम्हे चाहा
इसलिए मुझे तुमसे सिर्फ "तुम" चाहिए

वो भी ताउम्र के लिए
मिलोगे ना,....प्रीति सुराना

2 comments:

  1. बहुत उम्दा,लाजबाब,, आभार

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  2. सुन्दर भाव प्रदर्शित करती रचना !!

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