वादे-इरादे,
आदान-प्रदान,
अधिकार-कर्तव्य,
विश्वास और व्यवहार,
ये सब होता है प्यार और व्यापार में,..
हार-जीत,
तेरा-मेरा,
नाम-ख्याति,
नफा और नुकसान,
ये सब होता है बस व्यापार में,...
लड़ना-इगड़ना,
रूठना-मनाना,
वफा को आज़माना,
वफा का इम्तिहान देना,
ये सब होता है बस प्यार में,...
अब ये तेरी मरजी,..जो तू चाहे,..
रख वैसा ही हर रिश्ते में व्हवहार,..
बस मालूम हो हर शक्स को,...
किससे प्यार है किससे व्यापार,....प्रीति सुराना
bhot khub waaaaaaaaaaah
ReplyDeleteआपकी यह रचना कल सोमवार (20-05-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteआज ( २९/०५/२०१३ - बुधवार )को आपकी यह पोस्ट ब्लॉग बुलेटिन - आईपीएल की खुल गई पोल पर लिंक की गयी हैं | आप भी नज़र करें और अपना मत व्यक्त करें | हमारे बुलेटिन में आपका हार्दिक स्वागत है | धन्यवाद!
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