जानू मैं तेरी बातें सब,
बातों से बहलाना मत,..
बातों ही बातों में अब,
प्यार कभी जतलाना मत,..
मीठी मीठी बातें करके,
दिल मेरा धड़काना मत,..
दिल में दबे अरमान कई,
अब उनको बहकाना मत,..
रोना नही है अब मुझको,
अश्क मेरे छलकाना मत,..
दर्द मेरे सब तुझको पता है,
ये लोगों में झलकाना मत,..
दूर कहीं जाने की वजहें
मुझको तू बतलाना मत,..
तुझको खो देने के डर से,
अब मुझको दहलाना मत,..
टूट जाते है ख्वाब मेरे सब,
नए ख्वाब दिखलाना मत,..
और नए जो ख्वाब सजाए,
तो अब उनको बिखराना मत,...प्रीति सुराना
waaaaah waaaaah bhot khjub
ReplyDeletedhanywad
Deleteएहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
ReplyDeleteवाह मन के गहरे जज्बातों को समेट के लिखे शेर ...
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण रचना,आभार.
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