Saturday, 13 April 2013

अश्क मेरे छलकाना मत,


जानू मैं तेरी बातें सब,
बातों से बहलाना मत,..

बातों ही बातों में अब,
प्यार कभी जतलाना मत,..

मीठी मीठी बातें करके,
दिल मेरा धड़काना मत,..

दिल में दबे अरमान कई,
अब उनको बहकाना मत,..

रोना नही है अब मुझको,
अश्क मेरे छलकाना मत,..

दर्द मेरे सब तुझको पता है,
ये लोगों में झलकाना मत,..

दूर कहीं जाने की वजहें
मुझको तू बतलाना मत,..

तुझको खो देने के डर से,
अब मुझको दहलाना मत,..

टूट जाते है ख्वाब मेरे सब,
नए ख्वाब दिखलाना मत,..

और नए जो ख्वाब सजाए,
तो अब उनको बिखराना मत,...प्रीति सुराना

5 comments:

  1. एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब

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  2. वाह मन के गहरे जज्बातों को समेट के लिखे शेर ...

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  3. बहुत ही भावपूर्ण रचना,आभार.

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