Thursday, 28 March 2013

हर पल में बहार,


देखो 
उतर गया ना 
सारा रंग 
जरा से पानी और साबुन से 
इसलिए मैं नही खेलती 
इन रसायनों से बने रंगों से होली,... 

मुझे रंगने के लिए 
तुम्हारा 
प्रेम-मनुहार-गुस्सा,
विश्वास-अधिकार-दायित्व,
साथ-सहयोग-समर्पण,
सारे एहसासों से बना रंग 
सबसे पक्का भी है
और सुरक्षित भी
जिसके लिए मुझे
न होली का इंतजार करना पड़ता 
न फागुन का,..

क्योंकि ये सारे एहसास
होली का रंग
रक्षा का बंधन
स्वतंत्रता दिवस की स्वाधीनता
गणतंत्र दिवस के संविधान
दीवाली की जगमगाहट
पतझड का इंतजार
सावन की हरियाली
बसंत की बहार
सबसे बढकर हैं,..

अब नही करती 
मैं किसी त्यौहार या मौसम का इंतजार
क्योंकि 
तुम साथ हो
तो हर दिन त्यौहार
हर पल में बहार,.....प्रीति सुराना

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