Saturday, 9 February 2013

एक पल जीने के लिए,...

चंद बातें हायकू में:----


तरसी हूं मैं
ताउम्र एक पल
जीने के लिए,...
पर
कैसे समेटूं
दिल का दर्द मैं
चंद बातों में,.....

मैंने सोचा कि
पी लूं ये गम कंही
तुम न ले लो,....
पर
मेरा मन भी 
पिघलता रहा है
शमा के जैसा...

हकीकत या
अफसाना शमा को
मिटना तो है,...
पर
सपने ही थे
मंजिलें मिल जाती
जो सच होता,....

वो अनपढ़
पढ़ ही कंहा पाया
मेरा ये मन,....
पर
पढ़ता कैसे
मन चोरी से सब
छुपा लेता है,....,......प्रीति सुराना

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