Friday, 8 February 2013

शमा बुझ चुकी है


चंद बातें हायकू में:----



छीन लिया है,
वक्त ने सबकुछ,
तुम्हारे बाद,....

अब

तड़प कर
अपनी बेबसी पे
रोता है मन,.....

आंसुओं का यूं
सैलाब सा आया कि
फिर न रूका,....

अब

तू जा पतंगे
शमा बुझ चुकी है
मेरे आंसू से,.....

मेरा वजूद
रेत सा  बिखरा था
मिट न सका,....

अब

दर्द ही दर्द
मुझ मे कुछ नही
इसके सिवा,.....प्रीति सुराना

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