Wednesday 20 February 2013

दोषारोपण





दोषारोपण का


मानो एक चलन सा ही चल पड़ा है,

ये नही देखता कोई

अपने भीतर ही कितना छल पड़ा है,..प्रीति

2 comments:

  1. सच कहा है ... अपने मन के भीतर कोई नहीं झांकता ...

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  2. बिलकुल सही कहा आपने।


    सादर

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