सुनो!
तुमसे दूर रहकर
तुम्हारे प्यार को महसूस करना आज भी
सुखद अहसास दे जाता है,..
जैसे
आषाढ़ की बदली में छुपकर भी
सूरज देता है
गरमाहट और रौशनी,...
पर
पास होकर भी
तुम्हारा मुझसे दूर रहना
यूं लगता है,..
मानो
जेठ की दोपहर में
सिर पर तैनात
सूरज की जला देने वाली तपन,....
क्या
प्यार के मौसम में
जेठ,...
आषाढ़ के बाद आता है,.......????,.......प्रीति सुराना
बेहतरीन
ReplyDeleteसादर
thanks यशवन्त माथुरji
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