Thursday, 6 December 2012

तुम जरा सा नजरिया बदलो




सुनो!

सूरज में आग है या रोशनी?
चांद में दाग है या शीतलता?
पानी तरल है या सरल?
सागर गहरा है या विशाल?
फूल में कांटे है या खुशबू?
कीचड़ में गंदगी है या कमल?
दुनिया में सुख ज्यादा है या दुख?
जीने के लिए दिल की सुने या दिमाग की?
प्रेम ताकत है या कमजोरी?

इन सारे सवालों का जवाब आधारित है
परिस्थितियों से बनी हमारी सोच पर,..
सकारात्मक और नकारात्मक सोच
हर बात के मायने बदल देती है,..

है ना!

इसलिए
तुम यूं न करो फासलों की बातें,
तुम बसे हो मेरी सांसों में,..
हमारे बीच मीलों की दूरी नही
प्यार का मजबूत पुल है,..

बस तुम जरा सा नजरिया बदलो
देखना सब कुछ बदल जाएगा,.....प्रीति सुराना

2 comments:


  1. सारे सवालों का जवाब आधारित है
    परिस्थितियों से बनी हमारी सोच पर…
    सकारात्मक और नकारात्मक सोच हर बात के मायने बदल देती है…

    सही कहा आपने प्रीति जी !


    सुंदर भाव और सुंदर शब्दों से सजी रचना है …
    बहुत खूबसूरत !
    वाऽह ! क्या बात है !
    अच्छी प्रस्तुति !

    शुभकामनाओं सहित…

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    1. dhanywad
      Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ji

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