जानें क्यूं आज व्यथित मन में
एक सवाल कौंध रहा है बार बार
कहां गए वो संस्कार
जो स्त्री और धरती को मां का स्थान देते थे
कितना स्वार्थी हो गया है न इंसान
जो धरती से अच्छी फसल पाने के लिए
खाद और दवाईयों का प्रयोग करता है,
फसल को चोरी से बचाने के लिए
कंटीले पेड़ों से घेराव करता है,
फसल को कीड़ों से बचाने के लिए
कीट नाशकों का उपयोग करता है,
खरपतवारों को उखाड़ कर फेंकता ही नही
बल्कि जला कर राख कर देता है,
सिर्फ इसलिए कि फसल को कोई नुकसान न हो
क्योंकि ये फसल आजीविका का साधन है,....
क्यूं भूल गया है आज मानव
कि स्त्री ही सृष्टि की जननी है,
मानवता की अच्छी फसल के लिए
क्यूं नही उठाए जाते ऐसे ही कदम?
क्यूं नही बरती जाती ऐसी ही एहतियात?
क्यूं नही बनाए गए अब तक
ऐसे कीटनाशक जो मिटा दें
मानवता का नाश करते हुए कीड़ों को??
क्यूं नही जड़ से उखाड़कर जला दिया जाता
व्यभिचार,अत्याचार, भ्रष्टाचार
जैसे खरपतवारों को,.....????????????
आज करना ही होगा संकल्प
कि करना ही है मानवता की रक्षा
ताकि बना सके एक ऐसा देश
जो किसी भी कीट और खरपतवार से रहित हो,....प्रीति सुराना
प्रीति जी आपके इस जोश और संकलप को मेरा शत शत नमन ... उतम रचना
ReplyDeleteयहाँ पर आपका इंतजार रहेगा शहरे-हवस
thanks Rohitas ghorelaji
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