Thursday 4 October 2012

यही वो सिलसिला है


जो मैं कुछ कहती हूं,
तो तुम्हे अच्छा नही लगता,

जो तुम्हे अच्छा नही लगता,
तो मैं खामोश हो जाती हूं,

जो मैं खामोश हो जाती हूं,
तो तुम दूर से लगते हो,

जो तुम दूर से लगते हो,
तो मैं तनहा रहती हूं,

जो मैं तनहा रहती हूं,
तो मैं उदास हो जाती हूं,

जो मैं उदास हो जाती हूं,
तो मेरे आंसू बहते हैं,

जो मेरे आंसू बहते हैं,
तो तुम तड़पते हो,

जो तुम तड़पते हो,
तो तुम पास आते हो,

जो तुम पास आते हो,
तो तुम्हे प्यार आता है,

जो तुम्हे प्यार आता है,
तो तुम बातें बनाते हो,

जो तुम बातें बनाते हो,
तो मैं शरमा सी जाती हूं,

जो मैं शरमा सी जाती हूं,
तो मैं नज़रें चुराती हूं,

जो मैं नज़रें चुराती हूं,
तो तुम सवाल करते हो,

जो तुम सवाल करते हो,
तो मैं कुछ कहती हूं,

जो मैं कुछ कहती हूं,
तो तुम्हे अच्छा नही लगता,

जो तुम्हे अच्छा नही लगता,
तो मैं खामोश हो जाती हूं,

न मै सुधरती हूं,
न तुम बदलते हो,
यही वो सिलसिला है,
जो नही बदलता है,.......प्रीति सुराना

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