आज भी अच्छा लगता है
उनकी गली से गुज़रना,
थोड़ा ठिठकना,
कुछ सोचना,
कुछ याद आना,
जरा सा मुस्कुराना,
पर
गली के नुक्कड़ पर उन्हे न पाकर,
आंखो में नमी लिए,
आगे निकल जाना,....
आखिर क्यूं याद आता है
आज भी
वो गुजरा जमाना,.....प्रीति सुराना
आखिर क्यूं याद आता है
आज भी
वो गुजरा जमाना,.....प्रीति सुराना
0 comments:
Post a Comment