सुनो!
अब मैं तुमसे
कुछ भी नही बोलूंगी,..
पर
जब मैं बोलती रही
तब तुम न समझ सके,..
तो क्या
अब तुम पढ़ पाओगे
मेरी खामोशी?
या
तुम मुझे
समझना ही नही चाहते,..
बोलो न
मैं अब तुम्हे
सुनना चाहती हूं,..
क्यूंकि
अब मैं थक गई हूं
तुम्हारी खामोशियों को पढ़ते-पढ़ते,......प्रीति
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