Tuesday 14 August 2012

फेहरिश्त


जाने क्यूं आज पलकें भीगी,
और मन जरा उदास सा है,
वो मेरा नही है मैं जानती हूं,
बस अपनेपन का एहसास सा है,...

वो हैं मेरे लिए चांद की मानिंद,
शामिल सितारों की भीड़ में,
जो है तो बहुत दूर लेकिन,
बस करीब है ये एहसास सा है,...

मुझे पता है कि मैं शामिल हूं,
उनके गैरो की फेहरिश्त में,
उन्हे मैने कभी पाया ही नही,
बस खो देने का एहसास सा है,.....प्रीति

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