ममतामयी मां के 'चक्षु' से
अविरल आज नेह बहे,
भरकर आंसु 'आंखों' में
बाबुल दे रहे आशीष तुझे ,
भीगे 'नेत्र' छुपाकर भैय्या
आज दे रहा तुझे विदाई,
'ऩयनो' में सपने लेकर
नवजीवन में तेरे कदम बढ़े,
सुंदर सजल 'लोचन' से
न अब तू यूं नीर बहा,
साजन के संग जा सखी
तुझे एक नया संसार मिले.....प्रीति
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