Saturday, 18 February 2012

शब्दों का दामन




सुनो
आशाओं के
दीप जले है
अभी अभी,
निराशा के
घनघोर अंधेरे को
निगल कर,
ले जाएगें तुम्हे
सुनहरे
प्रभात की ओर,
बस
तुम मेरे
शब्दों का दामन
थामे रहना,
जीवन
गजल से बदल कर
गीत बन जाएगा,.......प्रीति सुराना

1 comment:

  1. बहुत खूब आपके भावो का एक दम सटीक आकलन करती रचना
    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    तुम मुझ पर ऐतबार करो ।

    ReplyDelete