आज न जाने क्यूं ये जिद ले बैठी,
कि खुद में ढूंढ लूंगी अपनी पूर्णता,
लेकिन
शुरूआत करते ही सामने आकर,
मेरा मुंह चिढ़ाते बैठ गई,
मेरी अधूरी हरसतें,
मेरे अधूरे अरमान,
मेरे अधूरे सपने,
मेरे अधूरे अपने,
मेरी अधूरी तमन्नाएं,
मेरे अधूरे रिश्ते,
मेरा अधूरा रूदन,
मेरी अधूरी हंसी,
मेरा अधूरा विश्वास,
मेरा अधूरा अविश्वास,
मेरा अधूरा प्यार,
मेरा अधूरी नफरत,
मेरा अधूरा मन,
मेरी अधूरी जिंदगी,
मेरा अधूरा सुख,
(और तो और)
मेरा दुख भी अधूरा,
बस अब थक सी गई हूं मैं ढूंढते-ढूंढते
अपनी पूर्णता को,
कुछ मिला भी मुझे तो वो भी अधूरा
यानि
मेरी
"अधूरी पूर्णता" ,.....प्रीति
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