Monday, 26 December 2011

मेरी जिंदगी


मेरी जिंदगी अब कोई गीत नहीं कहती,
डरते हैं कोई इसे गज़ल का नाम न दे दे,..

मेरे कदम अब किसी ओर नही उठते,
डरते हैं फिर किसी मंजर तक जाने का इल्जाम न दे दे,..

मेरे हाथ अब किसी हाथ को नहीं थामते,
डरते हैं फिर छीनकर सहारा कोई गमों का जाम न दे दे,..

मेरे होठ अब मुस्कुराते नहीं भूले से भी,
डरते हैं फिर चुरा कर मेरी हंसी कोई खामोशी का अंजाम न दे दे,..

मेरी आंखों से अब आंसू झलकते नहीं कभी,
डरते हैं फिर पोंछकर इन्हे कोई रोने का नया फरमान न दे दे,..

मेरी धड़कने अब किसी का इंतजार नहीं करती,
डरते हैं फिर कोई मेरे दिल को कोई प्यार का पैगाम न दे दे,..

मेरा दिल अब किसी से भूले से भी प्यार न करेगा,
डरते हैं फिर अतीत से कोई अपनी यादों का सलाम न दे दे,..

मेरे ख्वाब दुखते हैं जो अब टूटकर बिखर गए हैं,
या खुदा मेरे दर्द का मरहम यानि मेरा प्यार इनाम दे दे,..

मेरी खुशियां लेकर मेरा चैन लौटा ए खुदा,
चाहे तू मुझे जहां का गम तमाम दे दे,....

मेरी जिंदगी अब कोई गीत नहीं कहती,
डरते हैं कोई इसे गज़ल का नाम न दे दे,.....प्रीति

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