Sunday 4 December 2011

तुम्हे खुशियां मिलेंगी,..


गमो को भूलकर देखो,
तुम्हे खुशियां मिलेंगी,
बीता वक्त न कुरेदो,
तुम्हे खुशियां मिलेंगी,.....

क्या हुआ था?
क्यों हुआ था?
क्या होना था?
कैसा होना था?

ये बातें भूल जाओ,
जो हुआ उसे अपनाओ,
हर बात का  अच्छा रूख देखो,
तुम्हे खुशियां मिलेंगी,..

गम क्या है?
गम क्यूं है?
गम किसलिए है?
गम किसके लिए है?

ये बातें भी न सोचो,
हर बात में सुख ढूंढो,
हर गम भूलकर देखो,
तुम्हे खुशियां मिलेंगी,..प्रीति

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